Sunday, December 21, 2025
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भारतीय सेना का ‘घर-घर शौर्य सम्मान’, जवानों ने सिरसा पहुंचकर शहीद कृष्ण कुमार के परिजनों को किया सम्मानित

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सिरसा: भारतीय सेना ने ‘घर-घर शौर्य सम्मान’ के तहत कारगिल युद्ध के नायक के परिवार को सम्मानित किया. भारतीय सेना ने 17वीं जाट रेजिमेंट के बहादुर सैनिक लांस नायक कृष्ण कुमार की शहादत को श्रद्धांजलि भी दी. जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. घर-घर शौर्य सम्मान पहल के तहत सेना ने उनके परिवार को हरियाणा के सिरसा जिले के तरकावाली गांव में उनके आवास पर सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट किया.

कारगिल शहीद को सम्मान: सेना की ओर से हवलदार कमलेश बिश्नोई व सिपाही सुनील ने गांव तरकांवाली में उनके आवास पर पहुंचकर शहीद की पत्नी संतोष देवी व पुत्र मनोज और मुकेश से मुलाकात की. इस दौरान हवलदार ने परिवार की समस्याएं भी जानी. सेना की ओर से आए प्रतिनिधियों ने बताया कि ‘भारतीय सेना 26वां कारगिल विजय दिवस समारोह 26 जुलाई को आयोजित कर रही है. इसी उपलक्ष्य में घर-घर शौर्य सम्मान के तहत शहीदों के परिजनों को सम्मान पत्र व स्मृति चिन्ह घर पर पहुंचकर दिया जा रहा है’.

शहीद परिवारों की जानी समस्या: उन्होंने यह बताया कि परिजनों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं के बारे में भी जानकारी ली जा रही है. ताकि उनका निवारण किया जा सके. उन्होंने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सपूतों का देश सदैव ऋणी रहेगा. कारगिल युद्ध के दौरान सिपाही कृष्ण कुमार दुश्मन से लोहा लेते हुए 30 मई 1999 को शहीद हो गए. शहीद कृष्ण कुमार के भाई बलजीत ने बताया कि कृष्ण कुमार 25 दिनों की छुट्टी के बाद 25 मई 1999 को कारगिल पहुंचे थे

जब सफल रहा था ऑपरेशन विजय: 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के सफल परिणाम की घोषणा की थी. जिसमें कारगिल की बर्फीली चोटियों पर लगभग तीन महीने तक चली लड़ाई के बाद जीत की घोषणा की गई थी. जिसमें टोलोलिंग और टाइगर हिल जैसे अति-ऊंचे स्थान शामिल थे. कारगिल तब जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य का हिस्सा था. जिसे 2020 में जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था. अपनी नुकीली चोटियों और चुनौतीपूर्ण इलाकों के लिए जाना जाने वाला कारगिल अब केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आता है.

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