देहारादून: उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाएंगे, सीएम देहरादून स्थित अपने आवास से संविधान की प्रति लेकर निकल चुके हैं। उत्तराखंड विधानसभा में UCC विधेयक पास होने के बाद कानून बन जाएगा। इसके साथ ही उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य बना जाएगा।
इसके साथ ही आज राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण विधेयक भी पास किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस विधेयक को लागू करने का वादा किया गया था। इसके लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित की गई, जिसने लगभग दो वर्ष तक खुली बैठकों में आम जनता से विचार और सुझाव एकत्र कर अपनी सिफारिश गत फरवरी को राज्य सरकार के सुपुर्द किया था, जिसे चार फरवरी को मंत्रिमंडल की बैठक में सदन में रखने पर सहमति दी गई थी।
यूसीसी (UCC) के विरोध में विशेषकर मुस्लिम सम्प्रदाय के नेताओं ने लगातार बैठकें आयोजित की हैं, जिसके दृष्टिगत पूरे राज्य में शान्ति व्यवस्था के लिए पुलिस को अलर्ट मोड में रखा गया है।
सूत्रों का कहना है कि मसौदे में 400 से अधिक धाराएं शामिल हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से उत्पन्न होने वाली विसंगतियों को खत्म करना है।
– समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लग जाएगी और बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
– लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है।
– लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।
– लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा और ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को जानकारी प्रदान करनी होगी।
– विवाह पंजीकरण नहीं कराने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है।
– मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल होगी।
– पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी।
– नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा।
– पति की मृत्यु की स्थिति में यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा।
– अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
– पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।
यह भी पढ़े: जनसुनवाई कार्यक्रम में डीएम ने सुनीं जनशिकायतें, 110 शिकायतें हुईं दर्ज