पंचायती राज विभाग की कार्ययोजना में केंद्र की दिलचस्पी
देहरादून: उत्तराखंड की पंचायतों को स्वशासी और आत्मनिर्भर बनाने के प्रोजेक्ट में रुचि दिखाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन कार्यरत प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर ऑफ इंडिया (PSA) और उत्तराखंड सेतु आयोग ने सहयोग का प्रस्ताव रखा है।
हाल ही में UPES कंडोली में PSA के तत्वावधान में आयोजित ‘स्मार्ट विलेज सेंटर’ कार्यशाला में विभाग द्वारा प्रस्तुत योजना ने मुख्य विषय वस्तु का स्थान ले लिया। टीम ने 79 मॉडल ग्राम पंचायतों—जिनमें 39 पंचायत लर्निंग सेंटर्स, 13 महिला हितैषी ग्राम पंचायतें और 27 उच्च रैंकिंग प्राप्त पंचायतें शामिल थीं—की सफलता की विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत की।
PSA और सेतु आयोग करेंगे मिलकर काम, उत्तराखंड बनेगा मॉडल राज्य
PSA निदेशक ने निदेशक निधि यादव से सीधे संपर्क कर उत्तराखंड में मिलकर कार्य करने की इच्छा जताई है। इससे पहले कि विभाग कोई औपचारिक प्रतिक्रिया देता, सेतु आयोग ने जानकारी दी कि आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शीघ्र ही सभी संबंधित विभागों के साथ प्रभावी समन्वय के लिए पहल करेंगे।
इसका उद्देश्य पंचायतों को “अंब्रेला संस्था” के रूप में विकसित करना है, ताकि हर नागरिक को केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित हो सके।
इससे न केवल प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के मिशनों को साकार किया जा सकेगा, बल्कि उत्तराखंड की पंचायतें पूरे देश में एक मॉडल के रूप में स्थापित होंगी।
तकनीक और पारदर्शिता से हो रहा ग्राम विकास का मूल्यांकन
पंचायती राज विभाग ने प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों के विकास के नौ थीमेटिक क्षेत्रों में किए गए कार्यों का डेटा एकत्र कर ‘पंचायत एडवांसमेंट पोर्टल’ पर अपलोड किया है। इससे प्रत्येक पंचायत के विकास कार्यों को ऑनलाइन देखा और मूल्यांकित किया जा सकता है, और आवश्यकता अनुसार सुधारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं। निदेशक निधि यादव ने कहा कि समय-समय पर अनुश्रवण, मूल्यांकन और समन्वय के लिए की गई पहल ने विभाग को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। उनका मानना है, “हम सभी विभागों के साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखते हैं, और PSA व सेतु आयोग की सहभागिता उत्तराखंड के पंचायती राज में ऐतिहासिक परिवर्तन लाएगी।”