Monday, December 23, 2024
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जोशीमठ में लोगों ने किया हाईवे जाम, बाजार भी पूरी तरह बंद

जोशीमठ: जोशीमठ शहर भू-धंसाव की जद में है। अभी तक 584 मकान, होटल इसकी जद में आ चुके हैं। आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि जोशीमठ की स्थिति चिंताजनक है। दरकते पहाड़ों ने लोगों की जिंदगी थाम दी है। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के जोशीमठ में आज चक्काजाम और बाजार बंद का एलान के चलते आज यहां सैकड़ों की संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भू धसाह्व से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र के लोगो ने बदरीनाथ हाईवे 07 जोशीमठ में जाम किया है। प्रभावित परिवार हाईवे पर बैठकर धरना दे रहे हैं। संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि प्रभावित परकिवारों में शासन-प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है। विरोध प्रदर्शन के चलते औली रोड पर एक किलो मीटर का लगा लंबा जाम लग गया है। जोशीमठ संघर्ष समिति के आह्वान पर बुधवार को भी देर शाम लोगों ने हाथ में मशाल लेकर बदरीनाथ स्टैंड से मारवाड़ी चौक तक सरकार और एनटीपीसी के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में प्रभावित परिवार भी शामिल हुए। अभी तक जोशीमठ क्षेत्र से 27 परिवारों के 120 लोग शिफ्ट किए जा चुके हैं ।

भू-धंसाव की चपेट में ज्योतिर्मठ परिसर भी आ गया है। परिसर के भवनों, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। ज्योतिर्मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि मठ के प्रवेश द्वार, लक्ष्मी नारायण मंदिर और सभागार में दरारें आई हैं। इसी परिसर में टोटकाचार्य गुफा, त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी मंदिर और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की गद्दी स्थल है।

जोशीमठ नगर में भू-धंसाव की समस्या को लेकर जिला प्रशासन ने जोशीमठ तहसील में प्रभावित लोगों को त्वरित राहत एवं किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए कंट्रोल रुम स्थापित किया है। जिसका दूरभाष नंबर 8171748602 है। किसी भी सहायता के लिए प्रभावित परिवार इस हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में जोशीमठ में जमीन धंसने से घरों में दरारें आने की घटनाएं सामने आई थीं। अब यहां धरती फाड़कर जगह-जगह से पानी निकलने लगा है। पानी को देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो कहीं अचानक अतिवृष्टि हो गई होय़ इस घटना से पूरा जोशीमठ सहमा हुआ है। आपको बता दें कि जोशीमठ के अलावा  उत्तराखंड में 32 गांव कुछ इसी तरह के हालात से जूझ रहे हैं। अलकनंदा नदी से कटाव और अनियंत्रित निर्माण कार्य से 32 गांव खतरे में पड़ गए हैं।

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