देहरादून: उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग अक्सर किसी ना किसी मामले को लेकर चर्चाओं में बना रहता है. प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा ना मिल पाने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. इसके अलावा कुछ अस्पताल ऐसे हैं, जो रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं. इन तमाम समस्याओं को देखते हुए स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) और उप-जिला अस्पतालों के प्रमुख अधीक्षकों (CMS) के साथ बैठक की. स्वास्थ्य सचिव ने रेफर प्रक्रिया को लेकर नाराजगी जताई है. साथ ही इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अब अस्पतालों से मरीजों को बेवजह रेफर नहीं किया जाएगा.
रेफर प्रक्रिया पर जताई नाराजगी: कई बार देखा गया है कि अस्पतालों की लापरवाही या संसाधन प्रबंधन की कमी के चलते मरीजों को बिना किसी ठोस वजह के रेफर कर दिया जाता है, जिससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ जाती है. जिसके चलते स्वास्थ्य सचिव ने निर्देश दिए कि हर रेफर की जिम्मेदारी अब अस्पतालों के प्रमुख अधीक्षकों पर होगी.
मरीज के रेफर को लेकर दिए ये आदेश: हर रेफर को प्रमुख अधीक्षकों की काउंटर-साइनिंग के साथ वैध और ठोस कारणों से ही किया जाना अनिवार्य होगा. यदि किसी केस में यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई या कारण अपर्याप्त पाया गया तो उस अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी. स्वास्थ्य सचिव ने स्वास्थ्य महानिदेशक को निर्देश दिए कि रेफर से संबंधित एक स्पष्ट एसओपी तैयार की जाए, ताकि पूरे प्रदेश में एकरूपता के साथ रेफर की प्रक्रिया अपनाई जा सके.
संसाधनों की सूची की जाएगी तैयार: साथ ही आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को लेकर भी चर्चा की गई. स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने निर्देश दिए कि अगर किसी परिस्थिति में मरीज को समय पर 108 एंबुलेंस सेवा और विभागीय एंबुलेंस सेवा दोनों उपलब्ध नहीं हो पाती है, तो स्थानीय अस्पतालों को तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी. उन्होंने कहा कि सीएमओ और सीएमएस की ये जिम्मेदारी होगी कि किसी भी आपात स्थिति में मरीज को अस्पताल या उच्च चिकित्सा सुविधा तक ले जाने के लिए सरकारी संसाधनों का प्रयोग कर सेवा उपलब्ध कराई जाए. इसके लिए एक स्थानीय एंबुलेंस नेटवर्क और संसाधन सूची भी तैयार करने के निर्देश दिए.
शवों को लेकर जाने में परेशानी: कई बार किसी मरीज की मृत्यु के बाद मृतक के परिजनों को शव को घर ले जाने में काफी परेशानी होती है. खासकर जब जिले में मोर्चरी वाहन या शव वाहन उपलब्ध नहीं होता. जिस पर सचिव ने निर्देश दिया कि ऐसी स्थिति में संबंधित अस्पताल प्रशासन या सीएमओ खुद संसाधन जुटाकर ये व्यवस्था करें कि शव को सम्मानपूर्वक परिजनों तक पहुंचाया जाए. एक परिवार को और कष्ट न झेलना पड़े, यह हमारी नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी है.
कारण बताओ नोटिस जारी: स्वास्थ्य सचिव ने बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि जिन डॉक्टरों की पोस्ट-पीजी ट्रेनिंग के बाद 13 जून को ट्रांसफर आदेश जारी किए गए थे और उन्होंने अब तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया है. उन्हें तत्काल कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए. सेवा शर्तों की अवहेलना को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी.