
देहरादून: आज 19 नवंबर को विश्व सीओपीडी दिवस भी मनाया जाता है। सीओपीडी फेफड़े से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसमें मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कतें आती हैं। यह एक लंबी अवधि की बीमारी है। पहाड़ की महिलाएं चूल्हे पर खाने के साथ बीमारियां भी पका रहीं हैं। यह बात राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग की ओपीडी में आने वाले सीओपीडी के मरीजों से पुख्ता भी हो रही है।
क्योंकि इन मरीजों में 80 प्रतिशत सिर्फ पहाड़ से हैं। उन्हें सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़े से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसमें मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कतें आती हैं।
यह एक लंबी अवधि की बीमारी है। सीओपीडी का शाब्दिक अर्थ भी लंबी अवधि की ऐसी बीमारी है जिससे शरीर में हवा प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। इसकी रोकथाम के लिए 19 नवंबर को विश्व सीओपीडी दिवस भी मनाया जाता है।
सीओपीडी की पुष्टि सबसे अधिक 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों में
दून अस्पताल के टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मानवेंद्र गर्ग ने बताया कि ओपीडी हर रोज कुल 100 मरीज आते हैं। इनमें से 60 मरीज सिर्फ सीओपीडी से ग्रसित होते हैं। इनमें से 80 प्रतिशत मरीज पर्वतीय इलाकों के देखने को मिलते हैं जिसमें महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है।
चिकित्सक के मुताबिक पहाड़ों पर सीओपीडी के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं। इसमें चूल्हे पर खाना बनाने के दौरान निकलने वाले धुएं के साथ ही अधिक ऊंचाई के कारण ऑक्सीजन की कमी, वर्षभर लगी रहने वाली जंगलों की आग भी शामिल है।
डॉ. गर्ग के मुताबिक सीओपीडी की पुष्टि सबसे अधिक 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों में हो रही है। इसमें जो भी महिलाएं हैं वे 20 से 25 वर्ष से लगातार चूल्हे पर खाना बना रही हैं।
उनके फेफड़े का अधिकतर हिस्सा संक्रमित हो चुका है। इस तरह के मरीजों में शुरुआत में तेज बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत और रंग युक्त बलगम आता है।


