
देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में 21 से 23 दिसंबर 2025 तक 56/ 57 रेगुलर कोर्स तथा 40 तकनीकी कोर्स की स्वर्ण जयंती गरिमामय रूप से मनाई गई। 21 दिसम्बर 1975 को पास आउट होने वाला यह कोर्स ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि यह आईएमए का पहला ऐसा कोर्स था, जिसके कैडेट स्नातक स्तर के थे।
इस कोर्स के अधिकारियों ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन, कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय, कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों, उत्तर-पूर्व में ऑपरेशन रक्षक एवं ऑपरेशन राइनो, सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन पराक्रम, ऑपरेशन फाल्कन सहित अनेक महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में भाग लेकर राष्ट्र सेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इस दौरान अधिकारियों ने अनेक सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए।
इस कोर्स से निकले अधिकारियों ने उच्च सैन्य पदों को सुशोभित किया, जिनमें 13 लेफ्टिनेंट जनरल, 25 मेजर जनरल एवं 50 से अधिक ब्रिगेडियर शामिल हैं। लेफ्टिनेंट जनरल संजीव माधोक एवं लेफ्टिनेंट जनरल राजन बख्शी सेना कमांडर के पद तक पहुँचे। इस कोर्स के 56 अधिकारियों ने देश सेवा करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया है। इस समारोह के दौरान इस कोर्स से जुड़े 25 अधिकारियों ने नेत्रदान का संकल्प लेकर समाज के प्रति अपनी संवेदनशीलता और सेवा भावना का परिचय दिया।
समारोह की शुरुआत स्वर्ण जयंती रात्रि भोज से हुई, जिसमें आईएमए के कमांडेंट एवं डिप्टी कमांडेंट उपस्थित रहे। 22 दिसंबर को आईएमए ‘वॉर मेमोरियल’ पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर कोर्स के मुख्य समन्वयक ब्रिगेडियर पी.पी.एस. पाहवा, वीएसएम, कमांडर विजय भारद्वाज तथा ग्रुप कैप्टन एम.एन. सक्सेना ने पुष्पांजलि अर्पित की।
इस कार्यक्रम में 9 लेफ्टिनेंट जनरल, 12 मेजर जनरल तथा 23 ब्रिगेडियर सहित कुल 330 अधिकारियों एवं उनकी पत्नियों ने सहभागिता की। समारोह का सफल आयोजन भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्ण सहयोग से संभव हो सका।


