Wednesday, June 18, 2025
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सीएम धामी ने पीएम मोदी के हर्षिल दौरे का वीडियो किया आज जारी

उत्तरकाशी: उत्तराखंड दुनिया भर में देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध है. यहां के मंदिरों की इतनी प्रसिद्धि है कि देश विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. उत्तराखंड के चारधाम के दर्शन करना हर सनातनी की इच्छा होती है. ये चारधाम ऊपरी हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं. यहां अक्टूबर से मार्च अप्रैल तक बर्फबारी होती है. इस कारण अक्टूबर में चारधाम यात्रा संपन्न होने पर इन मंदिरों की चल विग्रह मूर्तियों को उनके शीतकालीन प्रवास स्थल लाया जाता है. फिर सर्दी के 6 महीने इन्हीं शीतकालीन प्रवास स्थलों पर भगवान के दर्शन होते हैं. मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल उत्तरकाशी के मुखबा में है. सीएम धामी ने आज मुखबा का वीडियो शेयर किया है.

सीएम धामी ने शेयर किया मुखबा का वीडियो: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री राज्य के मंदिरों के वीडियो रोजाना अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर शेयर करते रहते हैं. आज उन्होंने मां गंगा की शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा का वीडियो शेयर किया है. मुखबा को मां गंगा का मायका भी कहते हैं. सीएम धामी ने अपने शेयर किए गए वीडियो में लिखा है- ‘उत्तराखंड आगमन पर मोक्षदायिनी, पतित पावनी मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा अवश्य पधारें। यहाँ के दिव्य दर्शन से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होती है।’

कहां है मुखबा? मुखबा उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है. यह भागीरथी नदी के किनारे स्थित है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई करीब 8000 फीट है. उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से मुखबा की दूरी करीब 80 किलोमीटर है. चारों ओर से बर्फ की पहाड़ियों से घिरे मुखबा का सौंदर्य देखते ही बनता है. ये स्थल धार्मिक पर्यटन के लिए तो प्रसिद्ध है ही, यहां प्राकृतिक पर्यटन की भी अपार संभावना है. गुरुवार को जब पीएम मोदी मुखबा पहुंचे थे तो यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर वो भी अभिभूत हो गए थे. प्रधानमंत्री ने बाकायदा दूरबीन से यहां की प्राकृतिक छटा को निहारा था. यहीं से उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन के लिए प्रसिद्ध वाक्य ‘घाम तापो पर्यटन’ यानी धूप सेकते हुए पर्यटन की रचना हुई है. पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि जब मैदानी इलाके सर्दियों में कोहरे से ढके होने के कारण बेरुखे हो जाते हैं तो उत्तराखंड जाकर ‘घाम तापो पर्यटन’ भी हो सकता है

मुखबा की धार्मिक मान्यताएं: मुखबा की बड़ी धार्मिक मान्यता है. मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल के बारे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां गंगा माता की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. मान्यता है कि इस मंदिर में आकर श्रद्धा से प्रार्थना करने वालों को पारिवारिक सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. सदियों से ये परंपरा चली आ रही है कि गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद मुखबा आकर गंगा आरती और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

मुखबा को मां गंगा का मायका कहा जाता है: अक्टूबर और इसके बाद जब ऊंचे हिमालय में बर्फबारी शुरू हो जाती है तो गंगोत्री में भी बर्फ गिरने लगती है. इस कारण यहां बहुत ठंड हो जाती है. हालत ये हो जाती है कि दोनों तापमान माइनस में चले जाते हैं. इस दौरान चारधाम यात्रा का समापन हो जाता है. इस समय मां गंगा की मूर्ति को मुखवा स्थित मुखीमठ मंदिर में लाया जाता है. अगले छह महीने तक यहीं पर विधिवत रूप से मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है. इसीलिए इसे मां गंगा का मायका कहा जाता है.

ऐसे पहुंचें मुखबा मंदिर: मुखबा पहुंचने के लिए उत्तराखंड पहुंचना होता है. उत्तराखंड आने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग हैं. हवाई मार्ग से आप ऋषिकेश के पास जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक पहुंचते हैं. रेल से हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून तक पहुंचा जा सकता है. ऋषिकेष से उत्तरकाशी, हर्षिल होते हुए मुखवा पहुंचा जा सकता है. दिल्ली से मुखबा की दूरी करीब 480 किमी है.

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