लखनऊ: प्रदेश में आपदा प्रबंधन के डाटा एनालिसिस को लेकर एक मजबूत वर्कफोर्स तैयार करने के लिए लखनऊ स्थित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) में राहत आयुक्त कार्यालय के सहयोग से एमएससी इन डाटा साइंस विद स्पेशलाइजेशन इन क्लाइमेट डाटा एनालिटिक्स कोर्स की शुरुआत की गई है। मंगलवार को मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने इसका शुभारंभ किया। यह कोर्स ट्रिपल आईटी द्वारा संचालित किया जाएगा, जिसमें छात्रों को डाटा एनालिसिस के लिए डाटा राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा कैंपस में निर्मित कराए गए क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्वेटरी (सीआरओ) द्वारा प्रदान किया जाएगा। मालूम हो कि इस ऑब्जर्वेटरी के माध्यम से प्रदेश में क्लाइमेट से संबंधित जो भिन्न-भिन्न प्रकार के डाटा प्राप्त किए जा रहे हैं, उनकी एनालिसिस तथा उसके आधार पर पूर्वानुमानित प्रतिक्रिया आपदा प्रबंधन के लिए राज्य सरकार को मदद प्रदान करेगी।
एआई और मशीन लर्निंग की मदद से हो सकेगी प्रेडिक्शन
ट्रिपल आईटी लखनऊ के प्रोफेसर दीपक कुमार ने बताया कि देश और दुनिया में बहुत कम लोग हैं जो क्लाइमेट डेटा को स्पेशिफिकली एनालिसिस करते हैं। इस कोर्स में छात्रों को सिखाया जाएगा कि क्लाइमेट डाटा पर कैसे काम करें और कैसे एआई और मशीन लर्निंग की मदद से प्रेडिक्शन करके लोगों को जागरूक करें। यह अपने तरीके का पहला कोर्स है, जिसमें छात्र रियल टाइम डाटा पर काम करेंगे। इसमें सीआरओ हमारे लिए मददगार होगा। वो हमें प्रदेश भर के क्लाइमेट से संबंधित डाटा को प्रदान करेगा, जिस पर छात्र काम करेंगे। साथ ही राहत आयुक्त कार्यालय छात्रों की स्कॉलरशिप और विभिन्न एजेंसियों को इंटर्नशिप में भी मदद करेगा। उन्होंने बताया कि डाटा मिलने के बाद इसको एनालिसिस करने के लिए हमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग लगानी पड़ेगी। इसके लिए भी सीआरओ के डेटा पर हमारे पीएचडी स्टूडेंट्स और एमएससी स्टूडेंट्स काम कर रहे हैं और डिफरेंट एआई के मॉडल्स बना रहे हैं, ताकि हम प्रेडिक्शंस कर पाएं।
अधिक स्पेशिफिक होगी प्रेडिक्शन
राहत आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने बताया कि प्रदेश में बेहतर आपदा प्रबंधन एवं सुदृढ़ पूर्व चेतावनीयंत्र को विकसित करने के लिए पहली बार लखनऊ में क्लाइमेट रेलीजिएंट ऑब्जर्वेटरी (सीआरओ) की स्थापना की गई है। इसके माध्यम से मौसम संबंधी सभी प्रकार के अलर्ट प्राप्त किए जा सकेंगे और संबंधित हितधारकों तक प्रसारित किए जाएंगे। इससे राज्य सरकार की आपदा प्रबंधन प्रणाली को एक नई दिशा मिलेगी। आपदा से पूर् अलर्ट कर नुकसान को न्यूनतम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सीआरओ को यूपी के सारे ब्लॉक्स से टेंपरेचर, ह्यूमिडिटी, बारिश समेत कई तरह का डेटा बल्क में मिल रहा है। इसे एनालिसिस कर कई चीजों को प्रेडिक्ट किया जा सकता है। इस प्रेडिक्शन के बेसिस पर एडवाइजरी जारी की जा सकेगी। उदाहरण के तौर पर जैसे कहीं बहुत ज्यादा बारिश या लू का अनुमान है हम एडवाइजरी जारी कर सकेंगे कि लोग इन जगहों पर न जाएं या प्रिकॉशल लेकर निकलें। आईएमडी भी वेदर से जुड़ी भविष्यवाणी करता है, लेकिन हमारी भविष्यवाणी ज्यादा स्पेशिफिक होगी।