लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सभी 75 जनपदों में पंचगव्य-औषधि, गो-पेंट और जैविक खाद प्रसंस्करण यूनिटें स्थापित की जाएंगी. इसके लिए प्रत्येक जिले से एक-एक गोशाला का चयन किया गया है, जिन्हें आत्मनिर्भर गोशालाओं के रूप में डेवलप किया जाएगा.
योगी सरकार के ‘एक जनपद-एक नवाचार मॉडल’ के तहत इन यूनिटों के माध्यम से न सिर्फ जैविक उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
75 आत्मनिर्भर गोशालाएं बनेंगी रोल मॉडल: उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि प्रत्येक जिले से एक गोशाला का चयन कर उसे आत्मनिर्भर गोशाला के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है. इन गोशालाओं को न सिर्फ गो संरक्षण का केंद्र बनाया जाएगा, बल्कि इन्हें पंचगव्य आधारित उत्पादन का हब भी बनाया जाएगा.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था होगी मजबूत: योगी सरकार ने हर जिले की स्थानीय विशेषता के अनुसार गांवों में नवाचार की पॉलिसी तैयार की है. इसके तहत महिला स्वयं सहायता समूहों और युवाओं को ट्रेनिंग देकर पंचगव्य से बने उत्पाद, गोबर से बने ब्लॉक, बायोगैस, गोमूत्र औषधि, जैव बीज के निर्माण और मार्केटिंग में लगाया जाएगा.
गोशालाओं के माध्यम से स्थानीय युवाओं और महिला समूहों को प्रशिक्षित कर उन्हें प्रसंस्करण, पैकेजिंग और मार्केटिंग से जोड़ा जाएगा. इससे ग्रामीण युवाओं को उनके गांव में ही स्वरोजगार मिलेगा और पलायन रुकेगा.
बायोगैस संयंत्र और गोबर ब्लॉक होंगे शुरू: चयनित गोशालाओं में बायोगैस संयंत्रों की स्थापना की जाएगी, जिससे स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन होगा. साथ ही गोबर से बने ईंटनुमा ब्लॉक भी तैयार किए जाएंगे. इनका उपयोग निर्माण कार्यों और ईंधन के रूप में किया जा सकेगा.
हर जिले में नवाचार को मिलेगा बढ़ावा: योगी सरकार ने एक जनपद-एक नवाचार मॉडल को लागू करते हुए हर जिले में उसके अनुरूप नवाचार करने का प्लान बनाया है. इससे न सिर्फ स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि युवाओं को भी स्वरोजगार की दिशा में ठोस अवसर मिलेंगे. यह योजना उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी.