Thursday, July 31, 2025
Homeउत्तर प्रदेशपैतृक गांव लमही में 'जीवंत' होंगे मुंशी प्रेमचंद; म्यूजियम, डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर...

पैतृक गांव लमही में ‘जीवंत’ होंगे मुंशी प्रेमचंद; म्यूजियम, डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर और भी बहुत कुछ…पीएम मोदी देंगे तोहफा

वाराणसी: आज यानी 31 जुलाई को कथा सम्राट और कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद की 146वीं जयंती है. इनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर लमही गांव में हुआ था. मुंशी प्रेमचंद ने ग्रामीण भारत की मानवीय संवेदनाओं को अपनी कलम की धार से ऐसे गढ़ा था, जिसमें हर शख्स अपना अक्स तलाशता है. आज भी उनकी कहानियां न सिर्फ प्रासंगिक हैं, बल्कि जीने की राह भी दिखाती हैं. उनके पैतृक गांव लमही में उनका आवास और उनसे जुड़ी चीजें जर्जर होती जा रही हैं. अब सरकार ने पहल की है. लमही को वैश्विक परिवेश और आधुनिकता के संगम से संवारा जाएगा.

मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं चाहे वह नमक का दरोगा के बंशीधर हों या पूस की रात का हल्कू, वे आज भी कहीं न कहीं दिखते हैं. उनकी कहानी कफन के घीसू और माधव, गोदान का होरी अब भी लमही गांव की मिट्टी के पोर-पोर में विद्यमान हैं. मुंशी जी की इन्हीं स्मृतियां और यादों को अब बनारस में नया रूप मिलने जा रहा है. 2 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बनारस पहुंचेंगे तो बनारस में करोड़ों की सौगात देंगे. साथ ही मुंशी प्रेमचंद के गांव लमही में उनके पैतृक आवास और उनके स्मारक को भी नया जीवन मिलेगा.

12 करोड़ रुपए से म्यूजियम और डिजिटल लाइब्रेरी: मुंशी प्रेमचंद की लेखनी और उनके उपन्यास, साहित्य के साथ कहानियों को अब डिजिटल रूप दिया जाएगा. पूरा प्लान लगभग 2 महीने पहले ही तैयार हो गया था और शासन को मंजूरी के लिए से भेजा गया. इसे मंजूरी मिलने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वाराणसी के 51वें दौरे पर घोषित करेंगे. मुंशी प्रेमचंद के गांव को बड़ा तोहफा पीएम मोदी देंगे.

इस प्लान के तहत मुंशी जी के पैतृक आवास को एक म्यूजियम में कंवर्ट किया जाएगा. मुंशी प्रेमचंद की स्मृतियों को जीवंत रखने के लिए उनके पैतृक गांव लमही में मुंशी प्रेमचंद एक्सपीरियंस सेंटर विकसित किया जा रहा है. इसका शिलान्यास होने के बाद लगभग डेढ़ साल के अंदर यह काम पूरा हो जाएगा.

नये स्वरुप में दिखेगा लमही का पैतृक आवास: वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि परियोजना को जल्द से जल्द धरातल पर उतारा जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी के हाथों इसका शिलान्यास होने के बाद यह पर्यटन के पॉइंट ऑफ व्यू से भी बड़ा केंद्र बनने वाला है. यह आने वाले पर्यटक मुंशी प्रेमचंद के साहित्य, उपन्यास और कहानियों को पढ़ने के साथ-साथ डिजिटली अनुभव भी करेंगे.

लोगों को यहां पर वह चीजें मिलेंगी, जिसकी तलाश उन्हें बुक स्टोर्स पर रहती है. डिजिटल समय में यह चीज डिजिटल तरीके से तैयार की जाएगी. सबसे बड़ी बात यह है, कि यह केंद्र न केवल प्रेमचंद के जीवन और लेखन को दर्शाएगा, बल्कि पर्यटकों, साहित्य प्रेमियों को वर्तमान परिवेश और विचारधारा से भी जोड़ने का काम करेगा. अधिकारियों का कहना है, कि साहित्य और विरासत का एक अद्भुत संगम मुंशी प्रेमचंद के पैतृक आवास और स्मारक में देखने को मिलेगा.

12 करोड़ रुपए से म्यूजियम और डिजिटल लाइब्रेरी: मुंशी प्रेमचंद की लेखनी और उनके उपन्यास, साहित्य के साथ कहानियों को अब डिजिटल रूप दिया जाएगा. पूरा प्लान लगभग 2 महीने पहले ही तैयार हो गया था और शासन को मंजूरी के लिए से भेजा गया. इसे मंजूरी मिलने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वाराणसी के 51वें दौरे पर घोषित करेंगे. मुंशी प्रेमचंद के गांव को बड़ा तोहफा पीएम मोदी देंगे.

इस प्लान के तहत मुंशी जी के पैतृक आवास को एक म्यूजियम में कंवर्ट किया जाएगा. मुंशी प्रेमचंद की स्मृतियों को जीवंत रखने के लिए उनके पैतृक गांव लमही में मुंशी प्रेमचंद एक्सपीरियंस सेंटर विकसित किया जा रहा है. इसका शिलान्यास होने के बाद लगभग डेढ़ साल के अंदर यह काम पूरा हो जाएगा.

नये स्वरुप में दिखेगा लमही का पैतृक आवास: वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि परियोजना को जल्द से जल्द धरातल पर उतारा जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी के हाथों इसका शिलान्यास होने के बाद यह पर्यटन के पॉइंट ऑफ व्यू से भी बड़ा केंद्र बनने वाला है. यह आने वाले पर्यटक मुंशी प्रेमचंद के साहित्य, उपन्यास और कहानियों को पढ़ने के साथ-साथ डिजिटली अनुभव भी करेंगे.

लोगों को यहां पर वह चीजें मिलेंगी, जिसकी तलाश उन्हें बुक स्टोर्स पर रहती है. डिजिटल समय में यह चीज डिजिटल तरीके से तैयार की जाएगी. सबसे बड़ी बात यह है, कि यह केंद्र न केवल प्रेमचंद के जीवन और लेखन को दर्शाएगा, बल्कि पर्यटकों, साहित्य प्रेमियों को वर्तमान परिवेश और विचारधारा से भी जोड़ने का काम करेगा. अधिकारियों का कहना है, कि साहित्य और विरासत का एक अद्भुत संगम मुंशी प्रेमचंद के पैतृक आवास और स्मारक में देखने को मिलेगा.

पूरी दुनिया में मुंशी के नाम से जाना जाएगा लमही: मुंशी प्रेमचंद के आवास और स्मारक का संरक्षण करने वाले सुरेश चंद्र दुबे कहते हैं, कि मुंशी जी के गांव में विकास बहुत हुआ. जमीनों के दाम बढ़ें और आसपास बड़े-बड़े कल कारखाने और मकान बनने शुरू हो गए. लेकिन लोग मुंशी जी के गांव को उनके नाम से जानें, यह ज्यादा जरूरी है. यहां पर उनकी स्मृतियों को संजोकर रखना बेहद आवश्यक है.

मौजूदा स्थितियां बेहद खराब हो रही हैं. मुंशी जी के पैतृक आवास के आसपास बारिश में पानी जमा हो जाता है. गंदगी रहती है. अंदर लगे दरवाजे, खिड़कियां अब दीमक की वजह से टूटकर गिरने लगे हैं. दीवारें भी जर्जर हो रही हैं. ऐसे में इसका संरक्षण होना चाहिए. हमें उम्मीद है कि सरकार की तरफ से जल्द यहां काम शुरू हो जाएगा और पूरी दुनिया में नाम कमाने वाले मुंशी प्रेमचंद का गांव उन्हीं के नाम से जाना जाएगा.

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_imgspot_img

Most Popular