वाराणसी: गंगधार से बाबा विश्वनाथ के धाम तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन से पहले लेजर शो (Laser Show) के जरिये देवाधिदेव महादेव (Mahadev) की अद्भुत छटा दिखाई जाएगी। गंगा द्वार की दीवारों पर लेजर शो होगा। इसका सफल परीक्षण मंगलवार की देर रात किया गया। अधिमास के पहले दिन गंगा द्वार से प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं का मन लेजर शो की चमक ने मोह लिया।
काशी विश्वनाथ धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सावन में यह संख्या बहुत ज्यादा हो जाती है। सोमवार को ही पांच से छह लाख बाबा की दर पर हाजिरी लगाते हैं। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसे देखते हुए ही मंदिर परिसर व बाहरी हिस्सों में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए पहले जर्मन हैंगर लगवाए गए। रेड कार्पेट बिछाई गई। मंदिर परिसर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया। गर्मी से निजात दिलाने की व्यवस्था सुनिश्वित कराई गई। अब लेजर शो के जरिये श्रद्धालुओं को नव्य, दिव्य व भव्य काशी विश्वनाथ धाम का अहसास कराया जाएगा।
धाम के सभी द्वारों पर लेजर शो (Laser Show)
श्री काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि धाम के सभी द्वारों पर लेजर शो (Laser Show) होगा। इसका सफल परीक्षण मंगलवार की देर रात गंगा द्वार से किया गया है। जैसे ही परीक्षण पूरा होगा, वैसे ही प्रति दिन शाम को लेजर शो होगा।
बाबा विश्वनाथ से अनुमति लेकर शुरू हुई पंचक्रोशी परिक्रमा
सावन के अधिमास में पंचक्रोशी यात्रा मंगलवार को मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर शुरू हुई। हजारों श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ से संकल्प लेकर यात्रा की शुरुआत की। काशी विश्वनाथ से आशीर्वाद लेकर श्रद्धालुओं का जत्था घाटों व गलियों से होते हुए अस्सी घाट पहुंचा। यहां से जत्था कंदवा स्थित कर्दमेश्वर महादेव के दर्शन के लिए रवाना हुआ। पंचक्रोशी यात्रा के श्रद्धालु परिक्रमा मार्ग के पांच पड़ाव कंदवा, भीमचंडी, रामेश्वर, शिवपुर और कपिलधारा होते हुए मणिकर्णिका पहुंच कर संकल्प पूरा करते हैं। यह यात्रा सावन के अलावा शिवरात्रि और अधिमास में की जाती है।
ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी ने बताया कि स्कंद पुराण में यात्राओं के महत्व का उल्लेख मिलता है। अधिमास में श्रावण मास जुड़ जाने पर पंचक्रोशी यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है। चातुरसास में काशी वास और श्रावण मास की वृद्धि इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है। श्रावण नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है, जिसे भोलेनाथ ने अपने मस्तक पर विराजमान किया है। श्रावण में सोमवार, प्रदोस, शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस मास में पंचक्रोशी परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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