लखनऊ: प्रदेश भर और दूसरे राज्यों से मरीज लारी कार्डियोलॉजी सेंटर में इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में लारी में काफी भीड़ होती हैं और बहुत मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है और उनकी मौत हो जाती है. ऐसा न हो इसके लिए 500 बेड का लारी कार्डियोलॉजी सेंटर-2 की शुरुआत जून महीने के आखिरी में होगी. इसके लिए बिल्डिंग पूरी तरह से बनकर तैयार है. अत्याधुनिक उपकरण भी आ चुके हैं. नई बिल्डिंग में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टिक की जांच की सुविधा होगी. हाई डिपेंडेंसी यूनिट भी होगी.
केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी में जल्द अधिक मरीज देखे जा सकेंगे. इसके लिए संस्थान प्रशासन द्वारा फैकल्टी पदों में इजाफे के लिए प्रपोजल शासन को भेजा गया है. जिसके तहत 8 नए फैकल्टी पदों का सृजन होगा. संस्थान के अधिकारियों के अनुसार लारी की नई बिल्डिंग शुरू के बाद अधिक स्टॉफ की जरूरत होगी. इसे देखते हुए अनुमति मिलते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी. ऐसे में दिल के मरीजों की लंबी वेटिंग कम हो जाएगी.
लंबी वेटिंग चल रही: वर्तमान में लारी कार्डियोलॉजी में करीब 94 बेड की सुविधा है और 11 फैकल्टी विभाग में सेवाएं दी रही हैं. यहां 250 पुराने और 100 नए रजिस्ट्रेशन रोज होते है. करीब 500 तक मरीज देखे जा रहे हैं. यहां मरीजों का लोड अधिक रहता है, जिसके चलते डेढ़ से दो माह तक की वेटिंग चलती है. मरीज रजिस्ट्रेशन के लिए रात में ही लाइन में लग जाता है. इसके बाद भी कई बार उसका दूसरे दिन नंबर नहीं आ पाता है.
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने बताया कि आठ मंजिल की लारी कार्डियोलॉजी सेंटर-2 बनकर तैयार हो चुकी है. इसके उद्घाटन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निमंत्रण पत्र भेजा जा चुका है. जैसे ही वह अपना समय देंगे, वैसे ही लारी कार्डियोलॉजी सेंटर टू की शुरुआत हो जाएगी. उन्होंने बताया कि विभाग में आठ पदों की बढ़ोतरी का प्रपोजल बनाकर भेजा गया है. इससे अधिक मरीज कम समय में देखे जा सके. वेटिंग कम होने से मरीजों को भी फायदा मिलेगा.
बढ़ेगी फैकल्टी की संख्या: लारी कार्डियोलॉजी के हेड प्रो. ऋषि सेठी ने बताया कि नई बिल्डिंग तैयार हो गई है. इसके लिए 250 से 300 नए स्टॉफ की जरूरत होगी. इस समय विभाग में 11 फैकल्टी अपनी सेवाएं दे रही हैं. जिसे बढ़ाकर 19 किया जाना है. आठ पदों को बढ़ाने का प्रपोजल भेजा गया है. अनुमति मिलते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी. सभी पदों पर जब भर्ती हो जाएगी तो यहां मरीज भी ज्यादा देखे जा सकेंगे और वेटिंग भी कम हो जाएगी.
अपने पिता का इलाज करने के लिए पहुंची श्वेता कुमारी ने कहा कि वह बदायूं से केजीएमयू लारी में पिता का इलाज करने के लिए आई है. बीते दिन में लखनऊ पहुंची. रात में पर्चा बनवाने के लिए लाइन में ही बैठे रही. सुबह काउंटर खुलते ही पर्चा बनवाया. फिलहाल ओपीडी में दिखा लिया है और पिताजी को भर्ती कर लिया गया है. यहां पर इलाज अच्छा होता है, यही कारण है कि हर कोई लारी में इलाज करने के लिए आते हैं. नई बिल्डिंग शुरू हो जाने से हम जैसे कई मरीजों को राहत मिलेगी.
देवेंद्र ने कहा कि वह अपने भाई का इलाज करने के लिए पहुंचे हैं. यहां पर इलाज बहुत अच्छा होता है. हॉस्पिटल रिजॉल्विंग फंड (एचआरएफ) के द्वारा 50 से 60 फ़ीसदी डिस्काउंट में दवाएं मिल जाती है, जो बाहर बहुत महंगी होती हैं. अगर एक बार यहां पर मरीज भर्ती हो गया फिर उसके बाद कोई दिक्कत नहीं होती है. मेहनत बस केवल भर्ती करने में होती है. भर्ती होने के बाद किसी तरह की कोई भी समस्या नहीं आती है.
केजीएमयू में भी उठी विभागाध्यक्ष के रोटेशन की मांग: वहीं, लखनऊ की किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष पद पर रोटेशन लागू होने की मांग फिर उठने लगी है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने बीते 30 मई को गजट जारी कर विभागाध्यक्षों के पद तीन-तीन साल के रोटेशन पर करने के लिए कहा था. इसके बाद केजीएमयू में इसकी चर्चा शुरू हो गई है.
दरअसल, इस समय केजीएमयू एकमात्र राज्य चिकित्सा विश्वविद्यालय है. जहां रोटेशनशिप लागू नहीं है. इसकी वजह से एक बार विभागाध्यक्ष बनने वाला शिक्षक सेवानिवृत्ति तक पद पर जमा रहता है. एक ही विभागाध्यक्ष रहने से कई बार आपसी मतभेद भी सामने आते हैं. इसे देखते हुए सभी विश्वविद्यालयों में विभागाध्यक्ष के पदों पर रोटेशनशिप लागू की गई है.
इसके तहत असिस्टेंट प्रोफेसर को छोड़कर अन्य शिक्षकों के पास बारी-बारी से विभागाध्यक्ष का पद जाता है. केजीएमयू प्रवक्ता प्रो. केके सिंह ने बताया कि एनएमसी के गजट के बाद केजीएमयू में क्या स्थिति होगी, यह नीतिगत निर्णय है. कुलपति के साथ ही कार्य परिषद ही इस पर कोई फैसला कर सकती है. अभी फिलहाल इस विषय पर कुछ कहा नहीं जा सकता है.