Tuesday, July 1, 2025
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यूपी के सरकारी अस्पतालों में नौकरी नहीं करना चाहते डॉक्टर; 1056 पदों की भर्ती में 355 ही मिले विशेषज्ञ

लखनऊ: प्रदेश में चिकित्सकों की कमी लगातार बरकरार है. इस कमी को पूरी करने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करते हैं. लेकिन, मौजूदा समय में स्थिति ऐसी है कि उम्मीदवार इंटरव्यू तो दे देते हैं. लेकिन, ज्वाइन करते वक्त उनकी मौजूदगी नहीं होती है. ऐसी समस्या एक बार नहीं बल्कि हर बार हो रही है.

स्वास्थ्य विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी बहुत से जिलों में सरकारी अस्पताल ऐसे हैं, जहां पर एक भी पीडियाट्रिशियन, एनेस्थीसिया की विशेषज्ञ या फिर डेंटिस्ट की मौजूदगी नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर का कहना है कि हमने विज्ञापन जारी करके देख लिया. बिड लगाकर देख लिया. मुंह मांगा वेतन देने पर भी 1056 पदों के सापेक्ष नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) को मात्र 355 विशेषज्ञ डॉक्टर प्रदेश भर में मिले हैं.

इनमें सबसे ज्यादा 32 विशेषज्ञ लखनऊ के अस्पतालों को मिले हैं, आठ जिलों को एक भी नहीं मिले. इस प्रकार बीते वर्ष की तरह चयनित सभी डॉक्टरों के ज्वाइन करने की संभावना भी कम है. यही वजह है कि स्वास्थ्य महानिदेशक ने साक्षात्कार के माध्यम से संविदा पर 678 डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए 27 जून को दोबारा आवेदन मांगे हैं.

बता दें कि नेशनल हेल्थ मिशन केंद्रीय स्वास्थ्य योजनाओं के संचालन के लिए अपने स्तर पर रिक्त पदों के सापेक्ष डॉक्टरों की नियुक्ति करता है. इसके लिए एनएचएम ने रिवर्स बिड (मुंह मांगा वेतन) की सुविधा उपलब्ध करायी है. बिड के तहत बीते वर्ष अगस्त 2024 में सभी 75 जिलों में स्थित सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञों के रिक्त पदों के सापेक्ष कुल 1056 पद पर आवेदन मांगे गए थे, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञता के मात्र 561 डॉक्टर ही पहुंचे.

इनमें से मात्र 67 जिलों के अस्पतालों में सबसे कम बोली लगाने वाले 355 डॉक्टरों को मुंह मांगे वेतन पर नियुक्ति दी गई है. नियुक्ति पाने वाले डॉक्टरों के आंकड़ों पर गौर करें तो प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स को लखनऊ भा रहा है. वहीं, आठ जिले ऐसे भी हैं, जहां एक भी डॉक्टर नहीं मिला, जबकि बांदा, चंदौली, फर्रुखाबाद, हमीरपुर, हरदोई, झांसी और संभल कुल आठ जिलों को मात्र एक-एक डॉक्टर ही मिले हैं. पांच जिलों में दो-दो डॉक्टरों को चयनित किया गया है.

स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ डॉ. एनबी सिंह के मुताबिक डॉक्टरों की नियुक्ति की प्रक्रिया लगातार चल रही है. कुछ प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग के द्वारा पूरी की जा रही है. वहीं, कुछ प्रक्रिया एनएचएम के द्वारा पूरी की जा रही है.

अधिकतम वेतन पर नियुक्ति की सुविधा के बावजूद 355 विशेषज्ञ डॉक्टरों में 55 डॉक्टर न्यूनतम वेतन 70 हजार पर चयनित हुए हैं. एक डॉक्टर ने 70 हजार 500 रुपये प्रतिमाह और तीन ने तो 71000 रुपये प्रतिमाह मांगे हैं. माना जा रहा है कि ये विशेषज्ञ ज्वाइन नहीं करते हैं तो यह सभी पद दोबारा रिक्त रह जाएंगे.

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जरिए बिड के द्वारा भी नियुक्ति की जा रही है. बिड नियुक्ति का अर्थ है कि चिकित्सक पद के लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मंगाने की प्रक्रिया, जिसमें वह अपनी “बिड” (बोली) लगाते हैं, यानी वह काम करने के लिए अपनी प्रस्तावित कीमत या शर्तें बताते हैं.

बिड के जरिए नियुक्ति पाने वाले 5 एनेस्थेटिक समेत कुल 7 डॉक्टरों को अधिकतम वेतन पांच लाख रुपये निर्धारित किए गए हैं. इनमें दो एनेस्थेटिक औरैया, एक अयोध्या, बस्ती और गौतमबुद्ध नगर में एक-एक एनेस्थेटिक चयनित किए गए हैं. इसके अलावा महाराजगंज में पीडियाट्रीशियन और संत कबीरनगर में एक रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति की गई है.

स्वास्थ्य महानिदेशालय के डीजी हेल्थ डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने कहा कि प्रदेश में चिकित्सकों की कमी की पूर्ति के लिए लगातार स्वास्थ्य विभाग विज्ञापन जारी कर रहा है कुछ स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं और कुछ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के द्वारा नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए हैं. समय-समय पर लगातार इस तरह के विज्ञापन जारी किए जाते हैं.

हमारी पूरी कोशिश है कि जल्द से जल्द प्रदेश में जिन जिलों में चिकित्सकों की कमी है, उसको हम भर सकें. उम्मीद है कि युवा चिकित्सक इसके लिए आगे आएंगे. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में पढ़ाई करके प्रैक्टिस कर रहे युवा चिकित्सक इस प्रकार की समाज सेवा के लिए पीछे नहीं हटेंगे. चिकित्सा जगत में सेवा देने वाले हर एक व्यक्ति को चाहे वह डॉक्टर हो या स्टाफ हो सभी सामाजिक सेवक के रूप में जाने जाते है.

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