Wednesday, December 4, 2024
spot_imgspot_img
spot_imgspot_img
Homeउत्तर प्रदेशअयोध्या: हाई प्रोफाइल सीट से दिग्गज क्यों दूर, इस बात का रहता...

अयोध्या: हाई प्रोफाइल सीट से दिग्गज क्यों दूर, इस बात का रहता है डर?

अयोध्या: भारतीय राजनीति की करीब 30 साल से धुरी बनी हुई अयोध्या सीट पर इस बार फिर सबकी नजर है। अब तक भाजपा और समाजवादी पार्टी ने यहां से उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। भाजपा ने जहां मौजूदा विधायक वेदप्रकाश गुप्ता पर फिर से भरोसा जताया है, वहीं समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री पवन पांडे को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर 90 के दशक से भाजपा का 2012 को छोड़ हर बार कब्जा रहा है। लेकिन उसके बावजूद अभी तक विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी के दिग्गज ने यहां से चुनाव नहीं लड़ा है।

योगी आदित्यनाथ की थी चर्चा

ऐसा लग रहा था इस बार यह परंपरा टूटने वाली है। चर्चा ऐसी थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, इस बार अयोध्या की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी अयोध्या से योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ाकर हिंदुत्व एजेंडे को मजबूत करना चाह रही थी। लेकिन अंत में योगी आदित्यनाथ ने अपने परंपरागत क्षेत्र गोरखपुर को चुनाव के लिए चुना। एक इंटरव्यू के दौरान अयोध्या से चुनाव नहीं लड़ने के फैसले पर उन्होंने कहा कि मेरा अयोध्या से राजनीतिक नहीं आस्था का नाता है। मैं बार-बार अयोध्या आस्था और विकास कार्यों के लिए जाता हूं।

लल्लू सिंह रहे हैं 5 बार विधायक

90 के दशक में राम जन्म भूमि आंदोलन शुरू होने के बाद से अयोध्या सीट पर सबसे ज्यादा भाजपा के लल्लू सिंह को जीत मिली है। वह 1991, 1993,1996, 2002 और 2007 में लगातार विधायक रहे। हालांकि 2012 में लल्लू सिंह सपा के पवन पांडे से चुनाव हार गए थे। उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे बसपा के वेद प्रकाश गुप्ता, 2017 में भाजपा के टिकट पर जीत कर आए। और इस बार भी उन्हीं पर भाजपा ने दांव लगाया है।

अयोध्या सीट का क्या है समीकरण

अयोध्या सीट पर ब्राह्मण और बनिया वोटरों की सबसे ज्यादा संख्या है। इसके बाद दलित, मु्स्लिम और यादव मतदाता असर डालते हैं। हालांकि राम जन्म भूमि मुद्दे का ऐसा असर रहा है कि यहां पर जातिगत समीकरण ज्यादातर चुनावों में हावी नहीं हो पाए और लगातार भाजपा जीतती रही है।

विपक्षी दलों को इस बात का डर

असल में भाजपा की राजनीति ऐसी रही है, जिसकी वजह से विपक्षी दलों के दिग्गजों के लिए हमेशा से अयोध्या दूर रही है। क्योंकि विपक्षी दलों को इस बात का डर रहता है कि वहां से दिग्गज नेताओं के उतरने से उनके गैर हिंदू मतदाताओं पर असर पड़ सकता है। इसलिए वह अयोध्या जाने से भी बचते रहे हैं। हालांकि जिस तरह से 2014, 2019 के लोकसभा चुनावों और 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को एकतरफा जीत मिली, उसके बाद से विपक्षी दलों को अब यह लगने लगा है कि उनके इस रवैये का भाजपा को फायदा मिलता है और हिंदू वोटर उनसे दूरी बना लेता है। इसी वजह से कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा अयोध्या जा चुके हैं। हालांकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राम जन्मभूमि से अभी तक दूरी बना रखी है। ऐसी चर्चा थी कि वह इस बार चुनावों में वहां जाएंगे, लेकिन कोविड-19 को देखते हुए लगी सख्ती से उनकी दौरा नहीं हो पाया।

यह भी पढ़े: PM Modi-‘मन की बात’: भ्रष्टाचार दीमक की तरह है, इसे जल्द से जल्द खत्म करने की जरूरत है

RELATED ARTICLES
Advertismentspot_imgspot_img

Video Advertisment

Advertismentspot_imgspot_img

Most Popular