Friday, December 12, 2025
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CJI सूर्यकांत ने हरियाणा की जेलों में स्किल डेवलपमेंट, पॉलिटेक्निक कोर्स का किया शुभारंभ, बोले- ‘एंटी ड्रग्स कैंपेन अच्छी पहल’

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गुरुग्राम: शनिवार को हरियाणा की अलग-अलग जेलों में कैदियों के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कोर्स और ITI-लेवल के वोकेशनल प्रोग्राम शुरू किए गए. भारत के चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत ने गुरुग्राम की जिला जेल भोंडसी से ‘एम्पावरिंग लाइव्स बिहाइंड बार्स, रियल चेंज: द न्यू पैराडाइम ऑफ करेक्शनल जस्टिस’ प्रोजेक्ट के तहत इन पहलों का उद्घाटन किया. इसके तहत हरियाणा की जेलों में स्किल डेवलपमेंट सेंटर, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा प्रोग्राम और ITI-लेवल के वोकेशनल ट्रेनिंग कोर्स औपचारिक रूप से शुरू किए गए.

नशा विरोधी जागरुकता अभियान की शुरुआत: इन पहलों का मकसद स्ट्रक्चर्ड शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के जरिए करेक्शनल इकोसिस्टम को नया रूप देना है. इसी कार्यक्रम के दौरान, CJI सूर्यकांत ने पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में एक महीने तक चलने वाला राज्यव्यापी नशा विरोधी जागरूकता अभियान भी शुरू किया, जिसे राज्य में बढ़ते नशे की लत की चुनौती का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया था.

CJI सूर्यकांत ने जताई चिंता: CJI ने एक अहम चिंता पर जोर देते हुए कहा कि जब लोग जेल से बाहर निकलकर बिना पर्याप्त सहारे के समाज में लौटते हैं, तो उनका दोबारा समाज में शामिल होना ना केवल मुश्किल होता है, बल्कि खतरनाक रूप से अनिश्चित भी हो जाता है. बिना गाइडेंस के, कई लोग हाशिए पर जाने और कानून के साथ नए सिरे से टकराव के चक्र में फंस जाते हैं.

 रीइंटीग्रेशन बोर्ड स्थापित करने का सुझाव: उन्होंने कहा, “आज सुधारवादी न्याय के लिए साफ सोच, समन्वित कार्रवाई और वापसी के बजाय नवीनीकरण के लिए डिज़ाइन किए गए सिस्टम की जरूरत है.” CJI सूर्यकांत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि रीइंटीग्रेशन सिर्फ उम्मीद का मामला नहीं, बल्कि एक प्लान्ड, सिस्टमैटिक प्रक्रिया बननी चाहिए. उन्होंने प्रोबेशन अधिकारियों, नियोक्ताओं, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों को मिलाकर जिला-स्तरीय रीइंटीग्रेशन बोर्ड स्थापित करने का सुझाव दिया, ये सुनिश्चित करते हुए कि हर रिहाई के साथ आगे बढ़ने का एक ठोस और कार्रवाई योग्य रास्ता हो.

‘साइकोलॉजिकल रिहैबिलिटेशन हो मजबूत’: CJI ने इस बात पर भी जोर दिया कि वोकेशनल ट्रेनिंग के साथ-साथ साइकोलॉजिकल रिहैबिलिटेशन को भी मजबूत किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि “जहां स्किल्स मौके खोलती हैं, वहीं साइकोलॉजिकल स्टेबिलिटी लोगों को आत्मविश्वास के साथ उन रास्तों पर चलने में मदद करती है. ट्रॉमा-इनफॉर्म्ड काउंसलिंग, एडिक्शन ट्रीटमेंट और इमोशनल रेगुलेशन प्रोग्राम जेल की ज़िंदगी का रेगुलर हिस्सा बनने चाहिए.”

‘एंटी-ड्रग्स कैंपेन जरूरी’: CJI सूर्यकांत ने कहा कि “इस संदर्भ में, लीगल सर्विसेज अथॉरिटी द्वारा शनिवार को शुरू किया गया एंटी-ड्रग्स कैंपेन एक जरूरी और तारीफ के काबिल पहल है. पॉलीटेक्निक और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत, कैदियों को वोकेशनल और टेक्निकल एजुकेशन की एक बड़ी रेंज मिलेगी, जिसमें ITI कोर्स के साथ-साथ कंप्यूटर इंजीनियरिंग में तीन साल का पॉलिटेक्निक डिप्लोमा भी शामिल है.” इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू के साथ-साथ हाई कोर्ट के जज और राज्य प्रशासन के अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे.

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