
पटना: बिहार का चर्चित हत्याकांड मामले में पटना हाईकोर्ट ने आरोपी मुकेश कुमार पाल को बरी कर दिया है. कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए यह फैसला सुनाया. मुकेश पाल को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
क्या है मामला: सिवान जिले के भगवानपुर हाट में 2 अप्रैल 2015 संजीव कुमार की हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में मुकेश कुमार पाल आरोपी थे. 7 जून 2019 को मुकेश पाल को दोषी पाते हुए सिवान कोर्ट ने IPC 302 और आर्म्स एक्ट धारा 27 के तहत उम्रकैद की सजा सुनायी थी.
पटना हाईकोर्ट में चुनौती: सिवान कोर्ट के इस फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी. आरोपी के अधिवक्ता प्रतीम मिश्रा और शिवजी मिश्रा ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. इस मामले में शनिवार को कोर्ट ने सुनवाई की.
गवाहों के बयान में विरोधाभास: अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हत्या मामले में दर्ज प्राथमिकी में प्रत्यक्षदर्शियों का उल्लेख नहीं है. पुलिस के द्वारा बयान दर्ज करने में अनावश्यक देरी की गयी है. कोर्ट को बताया कि मृतक को कितनी गोली मारी गयी, गवाहों के बयान में विरोधाभास है.
आरोपों पर संदेह: पुलिस के द्वारा कराए गए पोस्टमार्टम रिपोर्ट में संजीव कुमार को एक गोली मारी गयी थी. अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि घटनास्थल से पुलिस ने खोखा खोजने की कोशिश नहीं की. घटनास्थल का स्केच मैप भी नहीं बनाया. इससे घटना के आरोपों की कहानी पर संदेह है.
6 साल बाद बरी: पटना हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि संदेह कितनी भी मजबूत हो, इसे सबूत नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने आरोपी की सजा को खत्म करते हुए दोषमुक्त दिया है. कोर्ट ने आरोपी को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है. मुकेश पाल पूरे 6 साल बाद जेल से रिहा होंगे.


