Tuesday, November 4, 2025
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बिहार के सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल, OPD सेवाएं ठप

पटना: पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मंगलवार को जूनियर डॉक्टरों ने अचानक हड़ताल शुरू कर दी, जिससे अस्पताल में अफरातफरी का माहौल बन गया. सुबह से ही ओपीडी सेवाएं पूरी तरह बंद रहीं, जिसके कारण मरीज और उनके परिजन घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद निराश होकर लौटने को मजबूर हुए. हड़ताल का असर इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर सभी विभागों में देखा गया. वहीं कई मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ा.

जूनियर डॉक्टरों की 6 सूत्री मांग: जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल के समर्थन में 6 सूत्री मांगें रखी हैं. इनमें अस्पताल परिसर में सुरक्षा के लिए स्थायी पुलिस बल की तैनाती, बेहतर आवास व्यवस्था, वेतन व भत्तों में वृद्धि, आधुनिक लैब व उपकरणों की उपलब्धता, सीनियर डॉक्टरों की नियमित नियुक्ति और ड्यूटी के घंटों का नियमन शामिल है. डॉक्टरों का कहना है कि इन मांगों को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसके चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ा.

बॉण्ड पोस्टिंग की अवधि करने की मांग: जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की प्रमुख मांगों में पीजी के बाद बॉण्ड पोस्टिंग की अवधि को 3 साल से घटाकर 1 साल करना, उस एक साल की सेवा को सीनियर रेजिडेंट (एस.आर.) अनुभव प्रमाणपत्र के रूप में मान्यता देना, बॉण्ड पेनाल्टी को 25 लाख से घटाकर 10 लाख करना और बॉण्ड भरने की समय सीमा को कम करना शामिल है.

इमरजेंसी सेवाएं अभी चालू: जूनियर डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि वे फिलहाल इमरजेंसी सेवाओं में योगदान दे रहे हैं, ताकि गंभीर मरीजों की जान को खतरा न हो. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर सरकार ने जल्द सुनवाई नहीं की, तो वे इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर सकते हैं. इस चेतावनी ने प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है, क्योंकि इससे मरीजों की स्थिति और गंभीर हो सकती है.

दरभंगा DMCH में OPD सेवा ठप: दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (DMCH) में आज से ओपीडी सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई है. जूनियर डॉक्टर अपनी 6 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे दूर-दराज से आए मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल प्रशासन ने हड़ताल पर गए डॉक्टरों को बात करने के लिए बुलाया है, और DMCH अधीक्षक ने जल्द समाधान की उम्मीद जताई है.

मरीजों और परिजनों की बढ़ी मुश्किलें: हड़ताल का सबसे ज्यादा असर गरीब और दूर-दराज से आने वाले मरीजों पर पड़ा है. कई मरीजों को दवा और जांच के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा. परिजनों ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि सरकार और डॉक्टरों के बीच टकराव का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है.

“हम सुबह से लाइन में खड़े हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही. अब निजी अस्पताल में इलाज कराने की स्थिति नहीं है.”-मरीज के परिजन

प्रशासन ने शुरू की बातचीत: सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग ने जूनियर डॉक्टरों के साथ बातचीत शुरू कर दी है. हालांकि, अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है. डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगों पर लिखित आश्वासन नहीं मिलता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी. प्रशासन ने जल्द से जल्द मामले को सुलझाने का भरोसा दिलाया है, लेकिन मरीजों की परेशानी बढ़ती जा रही है.

सरकार और डॉक्टरों के बीच गतिरोध: यह हड़ताल बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल खड़े कर रही है. मरीजों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द डॉक्टरों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि आम लोगों को राहत मिल सके. दूसरी ओर, जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मांगें जायज हैं और वे अपनी बात मनवाने के लिए हड़ताल को और सख्त करने को तैयार हैं.

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