देहरादून: राजधानी के अनियंत्रित ट्रैफिक की एक बड़ी वजह लोकल ट्रांसपोर्ट की अराजकता है। दून की सड़कों पर सिटी बस, विक्रम, मैजिक, ऑटो और ई-रिक्शा बेतहाशा व बेलगाम दौड़ रहे हैं। लेकिन, तमाम कोशिशों के बावजूद पिछले दस साल में परिवहन महकमा इन्हें नियंत्रित नहीं कर पाया। अब नई पहल हुई है। परिवहन विभाग ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट संचालन के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाकर महानगर को तीन कॉरिडोर में बांट दिया है।
कोशिश है कि सभी सार्वजनिक वाहन तय रूट पर ही चलें। जगह-जगह बस-टैक्सी-मैजिक स्टैंड हों। ऐसी एप की व्यवस्था हो कि महानगरों की तरह आम जनता घर बैठे वाहन मंगा सके। सिटी बसें, विक्रम, मैजिक, ऑटो तय रूट पर चलें। लंबी दूरी की सड़कों पर सिर्फ सिटी बसें दौड़ें। जहां बसें नहीं चल सकतीं वहां केवल मैजिक और मिनी बसों का जादू चले।
ट्रैफिक की अराजकता से दून की जनता को मुक्ति मिले
रेलवे या बस स्टेशनों से घर आने के लिए ऑटो की सुविधा हो। गली-मोहल्लों में ई रिक्शा दौड़े। लेकिन स्थानीय ट्रांसपोर्टरों में इतने आपसी मतभेद हैं कि कोई रास्ता नहीं निकल रहा।लोकल ट्रांसपोटर्स के इस गतिरोध को तोड़ने के लिए अमर उजाला ने अपने कार्यालय में संवाद का आयोजन किया।
इसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने अपनी समस्याएं रखीं। परिवहन विभाग की ओर से आरटीओ प्रशासन सुनील शर्मा और आरटीओ प्रवर्तन शैलेश तिवारी ने इन समस्याओं को सुनकर न केवल उनकी शंकाओं का समाधान किया बल्कि स्मार्ट सिटी के स्मार्ट ट्रांसपोर्ट का मंत्र भी दिया। तय हुआ कि सब मिलजुल कर कोई रास्ता निकलेंगे ताकि ट्रैफिक की अराजकता से दून की जनता को मुक्ति मिले।
किसकी क्या समस्या
बस : सिटी बस संचालकों का कहना है कि उनके रूट पर विक्रम, ई-रिक्शा, ऑटो सब चलते हैं। बसों को सवारी नहीं मिलती। घाटे के कारण ही आधी बसें बंद हो गईं। इसकी मॉनीटरिंग करने वाला कोई नहीं।
विक्रम : विक्रम संचालकों का कहना है कि उन्हें विक्रम रोककर स्टेज कैरिज की तरह जगह-जगह सवारी बैठाने की अनुमति नहीं है। उन्हें भी स्टेज कैरिज में शामिल कर फुटकर सवारी बैठाने की इजाजत दी जाए।
ई-रिक्शा : ई-रिक्शा और ऑटो संचालक तीसरे कॉरिडोर यानी शहर के बाहरी हिस्से में चलने को तैयार हैं। लेकिन, उनकी मांग है कि शहर में ई-रिक्शा और ऑटो के लिए स्टापेज बढ़ाए जाएं ताकि सवारियों को आसानी से बैठाया और उतारा जा सके।
इस नए प्लान पर हुआ मंथन
नए प्लान के तहत पहले कॉरिडोर में आशारोड़ी से कुठालगेट, रायपुर से झाझरा, गढ़ी कैंट से मोहकमपुर तक तीन रूट शामिल किए गए हैं। इन पर स्टेज कैरिज परमिट वाली सिटी बसें, टाटा मैजिक चलेंगी। दूसरे कॉरिडोर में 24 रूटों पर सिर्फ स्टेज कैरिज परमिट वाले टाटा मैजिक चलेंगे। तीसरे कॉरिडोर में ऑटो, ई-रिक्शा शहर के गली-मोहल्लों से सवारी मुख्य सड़क तक पहुंचाएंगे।
विक्रम बने सिरदर्द पर सवाल रोजी रोटी काराजधानी में चल रहे करीब 500 विक्रम परिवहन विभाग के लिए असली सिरदर्द हैं। विक्रम कांट्रैक्ट कैरिज में शामिल हैं। यानी कोई भी सवारी पूरी विक्रम को बुक कर उसे किराये पर ले सकती है। सात सीटर विक्रम को जगह-जगह रोककर फुटकर सवारी नहीं बैठा जा सकता। लेकिन, हकीकत में ऐसा नहीं है। वे लंबे वक्त से सड़कों पर विक्रम रोककर फुटकर सवारी ढोते आए हैं। जबकि, विक्रमों को कांट्रैक्ट कैरिज की शर्तों का पालन करते हुए शहर के बाहरी हिस्सों से मुख्य मार्गों तक सवारी बुकिंग में लाने की व्यवस्था है। ऐसा न करने पर उनका रोजाना चलाना होता है।