
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में पार्कों का निर्माण लंबे समय से सियासी एजेंडे का अहम हिस्सा रहा है. पिछले 25 वर्षों में समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सरकारों ने भव्य पार्कों के जरिए अपनी विचारधारा को स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है.
सीएम योगी और राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बन रहा ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ न केवल राष्ट्रीय नायकों को समर्पित होगा, बल्कि यह बीजेपी के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में उभरेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर 2025 को, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है, इसका लोकार्पण करेंगे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस समारोह में शरीक होंगे. पिछले दो दशकों में यूपी के पार्क राजनीतिक प्रतीकों से अटे पड़े रहे. 1995 में पहली बार दलित मुख्यमंत्री बनीं बीएसपी नेता मायावती ने लखनऊ को ‘स्मारक सिटी ‘ बनाने का सपना देखा.
लखनऊ के गोमती नगर में है पार्क: उनके कार्यकाल (1995, 1997, 2002-2007 और 2007-2012) में सबसे चर्चित रहा डॉ. भीमराव आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, जिसे आमतौर पर आंबेडकर मेमोरियल पार्क कहा जाता है. 125 एकड़ में फैला यह पार्क लखनऊ के गोमती नगर में स्थित है. मायावती ने इसे दलित आंदोलन के प्रतीक के रूप में विकसित किया, जहां आंबेडकर, कांशीराम, ज्योतिबा फुले और अन्य बहुजन नायकों की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की गईं. पार्क में संग्रहालय, प्रेरणा केंद्र और विशाल स्तूप हैं, जो बौद्ध वास्तुकला से प्रेरित हैं लेकिन इसका राजनीतिक आयाम साफ था.
विकास के बजाय सियासी प्रचार पर खर्च: बीएसपी का प्रतीक हाथी की सैकड़ों प्रतिमाएं यहां लगाई गईं, जो पार्टी की छवि मजबूत करने का माध्यम बनीं. अनुमानित लागत 1,000 करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है, जिसकी आलोचना हुई कि यह विकास के बजाय सियासी प्रचार पर खर्च था. सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा, जहां मायावती की प्रतिमाओं को हटाने की मांग हुई, लेकिन पार्क को पर्यटन स्थल के रूप में बचाया गया. इस बार के अलावा भी गोमती नगर लखनऊ कानपुर रोड लखनऊ और नोएडा में अनेक पार्क मायावती सरकार में बनाए गए जिनकी कुल लागत लगभग 5000 करोड़ रुपये की थी.

पीएम मोदी इसका लोकार्पण करेंगे.
पार्क राजनीतिक दलों के सियासी हथियार बने: मायावती के बाद 2012 में सत्ता संभालने वाले एसपी नेता अखिलेश यादव ने भी पार्कों को सियासी हथियार बनाया. उन्होंने मायावती के पार्कों को ‘प्रशंसनीय’ बताते हुए उन्हें संरक्षित किया, लेकिन खुद एक बड़ा दांव खेला—जनेश्वर मिश्र पार्क. 367 एकड़ में फैला यह पार्क लखनऊ का सबसे बड़ा शहरी हरा-भरा क्षेत्र है, जो गोमती नगर के निकट है. अखिलेश ने 6 अगस्त 2012 को इसका शिलान्यास किया और 2014 में उद्घाटन. लागत 416 करोड़ रुपये, जिसमें विश्व का सबसे ऊंचा (200 फुट) राष्ट्रीय ध्वज स्तंभ भी शामिल था, जिसकी कीमत अकेले 1.38 करोड़ बताई गई.
पार्क में साइकिलिंग और जॉगिंग के लिए ट्रैक: पार्क में साइकिल ट्रैक, जॉगिंग पाथ, बच्चों के लिए खेल क्षेत्र और हर्बल गार्डन हैं. अखिलेश का दावा था कि यह पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है, लेकिन आलोचकों ने इसे मायावती के आंबेडकर पार्क से चार गुना बड़ा बनाने की होड़ बताया. अखिलेश ने कुशीनगर में 200 फुट ऊंची भगवान बुद्ध प्रतिमा वाला पार्क भी शुरू किया, जो बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास था. एसपी सरकार ने नोएडा और अन्य शहरों में भी पार्क विकसित किए, लेकिन ये सभी सियासी संदेशों से जुड़े रहे.

25 दिसंबर 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है.
कमल की डिजाइन में 65 एकड़ का परिसर: इन पार्कों की पृष्ठभूमि में बीजेपी का ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ एक नया मोड़ ला रहा है. सीतापुर बाईपास रोड पर बसंत कुंज योजना में स्थित यह 65 एकड़ का परिसर कमल के आकार में डिजाइन किया गया है, जो बीजेपी के प्रतीक का संकेत देता है. लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के तहत लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये की लागत से विकसित यह स्थल राष्ट्रीय नेताओं को श्रद्धांजलि है. मुख्य आकर्षण हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की विशाल कांस्य प्रतिमाएं.
लोगों को पार्क में मिलेंगी स्पेशल सुविधाएं: यहां अनूठे आकर्षण हैं—संग्रहालय, 3,000 क्षमता वाला ओपन एयर थिएटर, 1 लाख लोगों वाले रैली ग्राउंड, विस्तृत हरित क्षेत्र, ध्यान-योग केंद्र, मल्टीपर्पज हॉल, सेमिनार रूम, हेलिपैड युक्त वीआईपी लाउंज, कैफेटेरिया और आरामदायक बैठने की व्यवस्था है. यहां हिंदू महासभा, राष्ट्रीय जन संघ और भारतीय जनता पार्टी तीनों के प्रतीक नजर आएंगे. जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक और भारतीय जनता पार्टी का चुनाव निशान कमल भी दिखाई देगा.

राष्ट्रीय नायकों को समर्पित पार्क
पीएम मोदी कर सकते हैं लोकार्पण: लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि 25 दिसंबर को संभव है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां लोकार्पण के लिए आएं. उनके आने के लिए तमाम इंतजाम किए गए हैं बड़ा पंडाल सजा दिया गया है. सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी होगी. उन्होंने बताया कि यह पर मुख्य रूप से इस कॉलोनी के लिए भविष्य में संजीवनी साबित होगा. यहां के म्यूजियम डिजिटल और फिजिकली दोनों तरह के होंगे जिसमें हम तीनों महापुरुषों के जीवन चरित्र को दर्शाएंगे.


