Tuesday, December 16, 2025
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केदारनाथ धाम पहुंचे सांसद अनिल बलूनी, सपरिवार किये बाबा केदारनाथ जी के दर्शन-पूजन

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भाजपा सांसद ने नरेंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र का भी किया दौरा और कार्यकर्ताओं से की मुलाकात

केदारनाथ: गढ़वाल लोक सभा सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी आज सपरिवार श्री केदारनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने देवाधिदेव महादेव के चरणों में पूजा-अर्चना कर गढ़वाल सहित उत्तराखंड और समग्र राष्ट्र की सुख-समृद्धि एवं जनकल्याण की मंगलकामना की।

सांसद बलूनी ने बताया कि आज बाबा केदारनाथ जी की चल विग्रह पंचमुखी डोली की विधिवत पूजा-अर्चना के उपरांत डोली को गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया है। उन्होंने कहा कि कल कपाट बंद होने के उपरांत बाबा केदार की यह डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।

इस अवसर पर श्री बलूनी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में केदारधाम सहित संपूर्ण चारधाम क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास कार्य हुए हैं। केदारनाथ में पुनर्निर्माण और आध्यात्मिक जागरण का यह कार्य भारत की संस्कृति, आस्था और आधुनिक विकास का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

सांसद बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड के लोग भाग्यशाली हैं कि उन्हें बाबा केदारनाथ जैसे दिव्य स्थल की सेवा का अवसर प्राप्त है। उन्होंने प्रदेश के जन-जन से अपील की कि वे अपनी लोक संस्कृति, परंपराओं और आस्था से जुड़े पर्वों को पूरे उत्साह से मनाएं।

इसके बाद श्री अनिल बलूनी नरेन्द्रनगर विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान स्थानीय जनता एवं कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

श्री बलूनी ने क्षेत्रवासियों के स्नेहिल स्वागत के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और आग्रह किया कि हमारी लोक संस्कृति एवं परंपरा के प्रतीक पर्व “इगास” को पूरे हर्षोल्लास, सामूहिकता और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाए।

सांसद बलूनी ने कहा कि “उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति और जनभावनाएं हमारी पहचान हैं। हमारा प्रयास है कि इन्हें सशक्त विकास के साथ जोड़कर ‘विकसित उत्तराखंड’ का निर्माण किया जाए।”

उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में उत्तराखंड में विकास, पर्यटन, और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक नया युग प्रारंभ हुआ है। इसी भावना के साथ हमें अपने पर्व-त्योहारों को विकास और जनएकता के प्रतीक के रूप में मनाना चाहिए।

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