देहरादून: राजधानी देहरादून के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड कराने के नाम पर निजी पैसे लेने वाले डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। शिकायत सामने आने के महज़ 12 घंटे के भीतर ही डॉक्टर की सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
कैसे हुआ खुलासा?
मामला पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड पर चल रही अल्ट्रासाउंड सुविधा से जुड़ा था। यहां तैनात डॉक्टर पर आरोप था कि वह मरीजों से निजी रूप से रुपये लेकर अल्ट्रासाउंड करते थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने तुरंत जांच शुरू की।
जांच में सामने आई अनियमितताए
जांच में यह तथ्य सामने आया कि डॉक्टर ने न केवल पैसों का लेनदेन किया, बल्कि अपनी पहचान को लेकर भी गड़बड़ी की।
• रजिस्ट्रेशन में उनका नाम “हनुवंत” दर्ज था,
• जबकि पर्चों और रिपोर्ट में कभी “हनुमंत” तो कभी “मुखदीप” लिखा गया।
हालांकि, सभी दस्तावेजों पर उनका यूकेएमसी (UKMC) रजिस्ट्रेशन नंबर 7858 समान पाया गया। नाम में इस तरह की विसंगति ने शक को और गहरा कर दिया।
अस्पताल प्रशासन की सख्त कार्रवाई
दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिटेंडेंट (MS) डॉ. आर.एस. बिष्ट ने पुष्टि की कि इस मामले को बिल्कुल हल्के में नहीं लिया गया। पीपीपी मोड पर कार्यरत डॉक्टर की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गईं।
मरीजों के हित में बड़ा कदम
सरकारी अस्पतालों में निजी लाभ के लिए नियमों का उल्लंघन लंबे समय से चिंता का विषय रहा है। इस त्वरित कार्रवाई को मरीजों के हित में बड़ा और साहसिक कदम माना जा रहा है। स्थानीय लोगों ने इस कदम की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि इस तरह की सख्ती से पारदर्शिता और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।
आगे की योजना
अस्पताल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि पीपीपी मोड पर चल रही सभी सेवाओं की नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी। उद्देश्य यह है कि भविष्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी, अतिरिक्त वसूली या अनियमितता को समय रहते रोका जा सके।